- भारतमाला एक्सप्रेस-वे के निर्माण के साथ चार एलिफेंट कोरिडोर हो जायेंगे बंद, सीमट जायेगी छोटानागपुर के गजराजों का भ्रमण क्षेत्र
- जंगली हाथियों के अस्तित्व पर गंभीर संकट उत्पन्न कर सकता है, भारतमाला परियोजना फेज-1 एवं 2 के तहत हाईवे व एक्सप्रेसवे निर्माण
- एलिफेंट कोरिडोर पर मिलने वाली हाइवे पर नहीं बन रहें हैं हाथियों के लिए अंडरपास क्राॅसिंग
- पारसनाथ-टुंडी, झुमरा-लुगू, हिसीम-सेवाती, हुंडरू- सोनाहातू एवं बाघमुंडी-झालदा के बीच है जंगली हाथियों का कोरिडोर
- केंद्रीय वन पर्यावरण सुरक्षा एवं प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष विष्णुचरण महतो ने जतायी चिंता, कहा जल्द ही केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय एवं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को करायेंगे अवगत
हेमंत कुमार महतो, बोकारो। झारखंड क्षेत्र के जंगली हाथियों के अस्तित्व पर गंभीर संकट उत्पन्न कर सकता है भारतमाला परियोजना फेज-1 एवं 2 के तहत हाईवे व एक्सप्रेसवे निर्माण। क्योंकि एक्सप्रेस-वे एवं हाईवे के निर्माण से हाथियों का निवास एवं विचरण क्षेत्र कई स्थानों पर बाधित हो जायेंगे। जिससे विस्तृत क्षेत्र में विचरण करने वाले हाथी क्षेत्र विशेष में सीमट कर रह जायेंगे। हाथियों के भोजन व पानी की भी गंभीर संकट आयेगी। अगर समय रहते एलिफेंट कोरिडोर से होकर पार करने वाली हाईवे व एक्सप्रेसवे पर एलिफेंट अंडरपास क्राॅसिंग का निर्माण नहीं होता है तो भविष्य में समस्या खड़ी हो सकती है।
क्या है एलिफेंट कोरिडोर?
झारखंड क्षेत्र के अंतर्गत जंगली हाथियों का निवास या विचरण क्षेत्र की बात करें तो मुख्य रूप से चार पहाड़ों के जंगल इलाके आते हैं। इन पहाड़ों के बीच हाथियों का आने-जाने का सिलसिला सालों भर चलता रहता होता है। हाथियों के इन एक स्थान से दूसरे स्थान तक आने वाली मार्ग को एलिफेंट कोरिडोर कहा जाता है।
इनमें अगर झारखंड से सटे पश्चिम बंगाल के बाघमुंडी-झालदा पहाड़ श्रखंला के जंगल से अगर हाथी झारखंड की सीमा पार करते हैं तो बोकारो जिले के कसमार व जरीडीह प्रखंड के हिसीम- सेवाती-भस्की पहाड़ पहूंचते है। हाथियों का इस क्षेत्र से मन उबने पर जैनामोड़-बाराडीह होते हुए भंडारीदह दामोदर नदी पार कर पारसनाथ-टुंडी जंगल पंहुचते है।
पारसनाथ पहाड़ के के बाद हाथियों के झूंड का रूख नावाडीह डुमरी क्षेत्र होते हुए गोमिया प्रखंड के झूमरा-लुगू पहाड़ का बड़ा भुभाग होता है। यहां से महुआटांड़-रजरप्पा जंगल होते हुए पुनः दामोदर नदी पार कर गोला प्रखंड के सूतरी व पेटरवार प्रखंड के चरगी घाटी पार होते हुए पुनः हिसीम-केदला जंगल की ओर आते हैं। यहां के बाद सिल्ली- सोनाहातू-हुंडरू जंगल होते पश्चिम बंगाल के झालदा-बाघमुंडी, जमदेशपुर व चाईबासा होते उड़िसा जंगल की ओर भी प्रवास करते हैं।
कौन-कौन हाईवे व एक्सप्रेसवे में कहां बनेंगे बाधक?
भारतमाला परियोजना फेज-1 के तहत बन रहे फोरलैन हाईवे ओरमांझी से बांधडीह तक बनने वाली हाईवे पर पेटरवार प्रखंड के चरगी घाटी हाईवे में एलिफेंट कोरिडोर है जहां हाथी क्राॅस करते हैं। जो दामोदर नदी पार कर लूगू-झुमरा की ओर आवागमन आते हैं। इसके अलावा जरीडीह प्रखंड जैनामोड़ के बाराडीह और कल्याणपुर के आसपास हाथी कोरिडोर है जहा से क्रॉस कर हाथी चांदो-चलकरी पिछली दामोदर नदी भंडारीदह से क्राॅस कर पारसनाथ पहाड़ -टुंडी जंगल की ओर रुख करते हैं।
वहीं बनारस से कोलकाता सिक्सलैन एक्सप्रेसवे निर्माण में भी एलिफेंट कोरिडोर दो स्थानों पर क्राॅस करती है। एक गोला प्रखंड के दामोदर नदी लिपिया गांव मडय थान के आसपास है। जो लुगू- झुमरा का कोरिडोर है। वहीं जरीडीह एवं कसमार प्रखंड सीमा ना गोपालपुर-कुकुरतोपा- नावाडीह मौजा है। जहां भस्की जंगल की ओर से हाथी आवागमन करते हैं। यानि कुल चार स्थानों पर एलिफेंट कोरिडोर पार करते हैं। वहीं रांची-रामगढ़ जिले के सिकिदिरी घाटी भी एलिफेंट कोरिडोर है तथा हाथियों का विचरण क्षेत्र पर हाईवे पार करती है।
33 एवं 11 हजार एचटी बिजली से भी साथी आ रहे चपेट
इन सबके बीच पहाड़ों व जंगल किनारे हाल के दशकों में कई गांव व परियोजनाएं स्थापित होने से हाथी निवास व विचरण क्षेत्र तो सीमटा ही है। हाईवे-एक्सप्रेस-वे एवं उच्च पथ तथा रेलवे पथ के निर्माण से हाथियों का कारिडोर बाधित हो रहा है। जिससे हाथी अपने निर्धारित निवास क्षेत्र व भ्रमण स्थान तक पंहुचने के बदले इधर-उधर भटक रहे हैं। इस दौरान हाथी कोरिडोर में रेलवे लाईन या 33 एवं 11 हज़ार हाईवोल्टेज विद्युत तार के संपर्क में आने से दुर्घटना का शिकार होकर हाथियों की मौतें भी हो रही हैं। गांव में भटकने के कूएं में भी छोटे हाथियों के गिरकर मौत या घायल होने की खबर आते रहती हैं।
एलिफेंट कोरिडोर का बाधित होना चिंतनीय विषय, जल्द करायेंगे NHAI व MOEF को अवगत : विष्णुचरण

छोटानागपुर केंद्रीय वन पर्यावरण सुरक्षा एवं प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष विष्णुचरण महतो ने इस संबंध कहा कि भारतमाला परियोजना फेज-1 एवं 2 के तहत सिक्स लैन एक्सप्रेसवे एवं हाईवे निर्माण से कई स्थानों पर एलिफेंट कोरिडोर बाधित हो जायेगा। जिससे हाथियों का निवास एवं भ्रमण स्थल सीमट जायेंगे। जिससे क्षेत्र में हाथियों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो जायेगा। निश्चित रूप से यह गहन चिंतनीय विषय है। एनएचएआई एवं केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय को इस विषय पर ध्यान आकृष्ट कराया जायेगा। एलिफेंट कोरिडोर के क्रासिंग स्थानों पर एलिफेंट अंडरपास क्रास निर्माण के लिए एन एचएचआई से आग्रह किया जायेगा।