कुड़मि को शब्दों के जाल में उलझाने का खेल बंद करे झारखंड सरकार !

कुड़मि को शब्दों के जाल में उलझाने का खेल बंद करे झारख सरकार
Bokaro : झारखंड प्रदेश आदिवासी कुड़मि समाज ने झारखंड सरकार को Kudmi ST Inclusion के मामले में शब्दों के जाल में उलझाकर गुमराह करने का आरोप लगाया है। कुड़मि समाज ने झारखंड सरकार को इस तरह के शब्दजालों में उलझाने की कोशिश को बंद करने की सलाह दी है। मामला झारखंड विधानसभा के द्वितीय बजट सत्र में बगोदर विधायक नगेंद्र महतो के द्वारा  कुड़मि को आदिवासी सूची में शामिल करने की मांग को लेकर सवाल का है।

इस सवाल पर सरकार की ओर से ज़वाब था कि झारखंड सरकार ने बिहार और केंद्र सरकार से पूछा‌ है कि “क्या कुड़मि पहले आदिवासी थे या नहीं?”

जबकि किसी भी आदिवासी के लिए दस्तावेज़ में “आदिवासी” शब्द का उल्लेख नहीं !
दस्तावेजों में सिर्फ Animist (एनीमिस्ट), Tribes (ट्राइब्स), Aboriginal Tribes (एबोरिजिनल ट्राइब्स), Rayat (रैयत), Aboriginal Rayat (एबोरिजिनल रैयत) जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है।

सभी ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में Chhota Nagpur Kurmi, Kurmi Tribe, Aboriginal Tribe Kurmi , Kurmi Mahto दर्ज है।

इतना ही नहीं, उच्चारण के लिए ‘Hard R’ का प्रयोग करने के निर्देश दिए गए थे। यानी Kurmi को Kudmi पढ़ने के लिए कहा गया!

ऐतिहासिक प्रमाण: Anthropological Survey of India (पुराना संस्करण), Tribes and Castes of Bengal, Linguistic Survey of India, Census Reports, CNT Act 1908 आदि है।

आदिवासी कुड़मि समाज कहा कि अब सरकार शब्दों के खेल से बाज आए और ऐतिहासिक सत्य को स्वीकार कर। कुड़मि को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

  • Facebook
  • X (Twitter)
  • LinkedIn
  • More Networks
Copy link