राज्य सूचना आयुक्तों का पद रिक्त होने से जनसूचना अधिकारी सूचना अधिकार अधिनियम का उड़ा रहे धज्जियां 

  • जन सूचना अधिकारी के वरिष्ठ अधिकारी प्रथम अपीलीय अधिकारी का वरदहस्त प्राप्त होने से जनसूचना अधिकारी कर रहे हैं मनमानी 
  • जन सूचना अधिकारी तरह-तरह का बहाना बनाकर आवेदकों को सूचना उपलब्ध कराने में कर रहे टाल-मटोल 

 बोकारो आजतक डेस्क 

बोकारो। सरकारी कामकाजों में पारदर्शी लाने और जवाबदेह सुनिश्चित करने तथा भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के उद्देश्य से बने सूचना अधिकार अधिनियम 2005 का अनुपालन झारखंड में नहीं हो रहा है। आयोग में द्वितीय अपील के हजारों आवेदन लंबित पड़े हैं। पिछले 6 वर्षों से राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों का पद रिक्त होने से जन सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी का मनोबल बढ़ गया है। आवेदकों को सूचना उपलब्ध कराने में लापरवाही बरतते हैं। ज्यादातर आवेदकों मामले तृतीय पक्ष से संबंधित सूचना बताते हुए सूचना देने से इनकार करते हैं। जन सूचना अधिकारी के वरिष्ठ अधिकारी ही प्रथम अपीलीय अधिकारी होते हैं जो जन सूचना अधिकारी के खिलाफ प्रथम अपीलीय आवेदन पर त्वरित कार्रवाई करने में ढिलाई बरतते हैं। जिससे आवेदक वांछित सूचना पाने में नाकाम रह जा रहे हैं। द्वितीय अपील के हजारों आवेदन लंबित पड़े हैं। द्वितीय अपील की बेंच में आयुक्त द्वारा आवेदक को जन सूचना अधिकारियों द्वारा ससमय वांछित सूचना उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में दंडित करने का प्रावधान है। जिसका डर जन सूचना अधिकारियों को समाप्त हो गया। जिसके कारण गड़बड़ी एवं फर्जी दस्तावेजों को सूचना अधिकारी देने से बच रहे हैं। जिससे जनता सरकारी योजनाओं की जानकारी से वंचित हो रहे हैं। 

कसमार निवासी वरिष्ठ सूचना अधिकार कार्यकर्ता कमलेश जायसवाल ने बताया कि झारखंड में सूचना अधिकारी कानून का अनुपालन नहीं हो रहा है। पिछले 6 वर्षों से सूचना आयुक्त के पद रिक्त होने से जन सूचना अधिकारी बेलगाम हो गये हैं। सूचना देने में आमलोगों को कोई भी बहाना बनाकर इनकार कर रहे हैं। मनमानी चरम पर पंहुच गई है।आम जनता त्रस्त और परेशान है। राज्य में लोकायुक्त का पद खाली रहने एवं एवं जन शिकायत कोषांग बंद होने से भी सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

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