Hemant Kumar Mahto, Bokaro
अगर बोकारो विधायक श्वेता सिंह के नाम चार वोटर कार्ड, दो पैन कार्ड और क्वार्टर लीज का एनओसी चुनावी हलफनामा में न देने की बात सिद्ध हो जाती है, तो यह गंभीर कानूनी उल्लंघन माना जाएगा। यह विधानसभा सदस्यता को खतरे में डाल सकता है, खासकर यदि यह धोखाधड़ी, गलत जानकारी, या नैतिक भ्रष्टाचार से जुड़ा हो। हालांकि, सदस्यता रद्द करने का अंतिम निर्णय जांच, अदालती प्रक्रिया, और साक्ष्यों पर निर्भर करता है। आइए वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत गिरी से विस्तार से समझते हैं:
चार वोटर कार्ड का मसला:
भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) के नियमों के अनुसार, एक व्यक्ति के पास एक से अधिक वोटर आईडी कार्ड होना गैरकानूनी है। यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) की धारा 17 और 18 के तहत अपराध माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत होता है या एक से अधिक वोटर कार्ड रखता है, तो यह धोखाधड़ी माना जाता है।
यदि यह सिद्ध हो जाता है कि कोई विधायक या उम्मीदवार इस तरह की धोखाधड़ी में शामिल है, तो उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी आपराधिक मामले में दोषी पाया जाता है, जिसमें धोखाधड़ी शामिल हो, तो उनकी अयोग्यता हो सकती है।इसके अलावा, निर्वाचन आयोग द्वारा इसकी जांच के बाद संबंधित व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है, और कानूनी कार्रवाई संभव है।
दो पैन कार्ड का मामला:
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139A के तहत, एक व्यक्ति के पास एक से अधिक पैन कार्ड होना अवैध है। यह धारा 272B के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें 10,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यदि कोई विधायक इस तरह के उल्लंघन में शामिल पाया जाता है, तो यह उनकी विश्वसनीयता और नैतिकता पर सवाल उठाता है। हालांकि, केवल दो पैन कार्ड होने से सीधे तौर पर विधानसभा की सदस्यता रद्द नहीं हो सकती, लेकिन यदि यह सिद्ध हो कि इसका उपयोग वित्तीय धोखाधड़ी, कर चोरी, या अन्य अवैध गतिविधियों के लिए किया गया है, तो यह अयोग्यता का आधार बन सकता है।
क्वार्टर लीज का एनओसी शपथ पत्र में न देना:
यदि कोई विधायक सरकारी आवास या क्वार्टर लीज से संबंधित एनओसी शपथ पत्र में गलत जानकारी देता है या उसे छुपाता है, तो यह सरकारी नियमों और आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) का उल्लंघन माना जा सकता है। यह विशेष रूप से तब गंभीर हो जाता है, जब यह संपत्ति या वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा हो। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33A के तहत, उम्मीदवार को नामांकन के समय अपनी संपत्ति और देनदारियों के बारे में पूरी जानकारी देनी होती है। यदि कोई विधायक शपथ पत्र में महत्वपूर्ण जानकारी छुपाता है, तो यह धारा 125A के तहत अपराध माना जाता है, जिसके परिणामस्वरूप 6 महीने तक की जेल या जुर्माना हो सकता है। गंभीर मामलों में, यह अयोग्यता का आधार भी बन सकता है।
विधानसभा सदस्यता पर प्रभाव:
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत, यदि कोई विधायक किसी अपराध में दोषी पाया जाता है और उसे 2 साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो वह अयोग्य हो सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि धोखाधड़ी या नैतिक भ्रष्टाचार (moral turpitude) का मामला सिद्ध होता है, तो अदालत या निर्वाचन आयोग द्वारा उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती है। यदि कोई शिकायत दर्ज होती है और जांच में यह पाया जाता है कि विधायक ने जानबूझकर गलत जानकारी दी या धोखाधड़ी की, तो यह उनकी सदस्यता के लिए खतरा बन सकता है।
कानूनी प्रक्रिया:
ऐसी शिकायतों की जांच निर्वाचन आयोग, आयकर विभाग, या संबंधित सरकारी प्राधिकरण द्वारा की जाती है। यदि शिकायत सही पाई जाती है, तो विधायक को नोटिस जारी किया जाता है, और मामला अदालत में जा सकता है।
विधानसभा अध्यक्ष या उच्च न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय भी ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई कर सकते हैं, जो किसी विधायक की अयोग्यता की मांग करती हों।

