- टोटेमिक कुड़मि जाति को अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की कर रहे हैं मांग
- 23 नंबर 2004 राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को अनुशंसा की थी
- कुडमि की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक आस्था अन्य अनुसूचित जनजाति के समान है
- कुड़मि जाति अधिकांशतः जमीन डैम, खान, रेलवे पएवं अन्य कल कारखानों के लिए अधिग्रहित कर ली गई
रांची। झारखंड विधानसभा के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन सहित 42 विधायक व 2 सांसदों ने कुड़मि जाति को ST (अनुसूचित जनजाति) का दर्जा दिये जाने के समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर किया था। पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो के नेतृत्व में कुड़मि संघर्ष मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिलकर समर्थन पत्र का ज्ञापन सौंपते हुए कुड़मि को एसटी का दर्जा देनी की मांग थी। इसपर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उक्त प्रस्ताव को जनजातिय शोध संस्थान (TRI) को भेजने के लिए कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे को बुलाकर निर्देश दिया था। पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो ने तत्कालीन अर्जुन मुंडा की सरकार द्वारा कुड़मि जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की मांग को लेकर 24 नवंबर 2004 को राज्य मंत्रीमंडल ने निर्णय लेकर भारत सरकार के जनजातिय कार्य मंत्रालय को अनुशंसा भेजा था। इस पर निदेशक भारत सरकार राजीव प्रकाश ने छः अगस्त 2005 को झारखंड सरकार के जनजातीय शोध संस्थान से मानव जातिय रिपोर्ट की मांग की थी। जिसका हवाला भी दिया था।
इन विधायक सांसदों ने किया समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर
समर्थन पत्र में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन, सांसद विद्युत वरण महतो, विधायक चंपाई सोरेन, योगेश्वर महतो बाटूल, योगेंद्र प्रसाद महतो, जय प्रकाश भाई पटेल, कुणाल षाड़ंगी, साधुचरण महतो, जगन्नाथ महतो, नागेंद्र महतो, इरफान अंसारी, जीतू चरण राम, अमित कुमार, विकास सिंह मुंडा, निर्भय शहाबादी, जय प्रकाश वर्मा दशरथ गगराई, अनंत ओझा, नारायण दास, रविन्द्र नाथ महतो, ताला मरांडी, चंद्रप्रकाश चौधरी, शशिभूषण सामड़, विरंची नारायण, प्रकाश राम, प्रदीप यादव, कुशवाहा शिवपूजन मेहता, पीसी मंडल, राज सिन्हा, आलोक चौरसिया, गणेश गंझू राजकुमार यादव समेत अन्य विधायक शामिल थे।