बोकारो जिले के तेतुलिया मौजा में भूमाफियाओं ने बदल दी 103 एकड़ वन भूमि की प्रकृति

बोकारो जिले चास अंचल अंतर्गत तेतुलिया मौजा की 103 एकड़ जमीन

बोकारो आजतक डेस्क 

बोकारो जिले के तेतुलिया मौजा में 103 एकड़ से अधिक वन भूमि की प्रकृति को भूमाफियाओं ने कथित तौर पर अवैध तरीकों से बदल दिया। इस मामले में, भूमाफियाओं ने फर्जी दस्तावेज तैयार करके इस वन भूमि की खरीद-बिक्री की, जिसका खतियान में उल्लेख जंगल-साल के रूप में दर्ज है और यह गैरमजरुआ मालिक भूमि है। इस प्रक्रिया में, उन्होंने वन भूमि को गैर-वानिकी उपयोग के लिए परिवर्तित करने की कोशिश की, जिसमें संभवतः प्लॉटिंग और निर्माण जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं।

इस घटना की जांच सीआईडी ने शुरू की है, और बोकारो के सेक्टर-12 थाना में दर्ज कांड संख्या 32/2024 को टेकओवर कर लिया गया है। यह मामला वन भूमि के संरक्षण और अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जरूरत को उजागर करता है। भारत में वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत ऐसी गतिविधियों के लिए केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति अनिवार्य है, जिसके बिना यह परिवर्तन अवैध माना जाता है। चास अंचल के तेतुलिया मौजा में थाना नंबर 38 के प्लॉट संख्या 426 में 40.60 एकड़ जमीन तथा प्लॉट संख्या 450 में 66.60 एकड़ जमीन खतियान में गैरआबाद मालिक के जंगल झाड़ के रूप में दर्ज था जिससे 1958 में सुरक्षित वनभुमि के रूप में अधिसूचित किया गया था। जमींदारी उन्मुलन के पश्चात ये भूमि राज्य सरकार की हो गई। 1962 में उक्त भुमि बिहार सरकार ने 10 मौजाओं के साथ बीएसएल को दे दिया। वर्ष 2010 में बीएसएल ने माना कि ये जमीन वन विभाग की है जिससे बीएसएल को हस्तांतरित किया गया है। वर्ष 2012 में इजहार हुसैन,अख्तर हुसैन ने एक दस्तावेज के आधार पर बताया कि ये जमीन उनके दादा को निलामी से मिला है। 80 साल पुराने दस्तावेज जिससे अब तक कहीं पेश नहीं किया गया और न प्रकाश में आया के आधार पर प्लॉट 426 एवं 450 की नामांतरण इजहर हुसैन,अख्तर हुसैन के पक्ष में जमाबंदी संख्या 1665 कायम की गई। उक्त अवैध जमाबंदी के कारण तत्कालीन सीओ को राज्य सरकार ने बर्खास्त किया। अवैध जमाबंदी के जांच के लिए त्रिसदस्यीय कमेटी गठित की गई थी जांच प्रतिवेदन में बताया गया कि बिना सक्षम प्राधिकार तथाकथित 1933 के सेल डीड की जांच किए बिना बंदोबस्त खोला गया था। जांच दल ने किसी व्यक्ति का दखल कब्जा नहीं बताया गया था। वर्ष 2012 के सीओ के जमाबंदी को डीसी बोकारो ने 2016 में रद्द कर दिया। उच्च न्यायलय ने टेक्निकल ग्राउण्ड के आधार पर डीसी बोकारो के आदेश को रदद कर दिया परंतु टाइटल सूट दायर करने की छूट दी गई परंतु अब तक टाइटल सूट दायर नहीं किया गया। वर्ष 2021 में इजहार,अख्तर ने उमायुस मल्टीकॉम प्राइवेट लि को बेच दिया जिसमें सर्किल दर 23 करोड़ होना चाहिए था परंतु 10.3 करोड़ में ही सेल डीड बना दिया जबकि बिक्री के समय वह जमीन प्रतिबंधित सूची में रहने की बात है। वन विभाग ने 80 साल पुराने सेल डीड का सत्यापन किया जहां सेल डीड का सर्टिफाइड का मूल प्रति, छाया प्रति कार्यालय में उपलब्ध नहीं था। उक्त दोनो प्लॉट के 85.57 एकड़ वनभूमि पर वन विभाग ने व्यवहार न्यायलय में केस दायर किया है। शेष भूमि राजस्व विभाग की है जिस पर अभीतक टाइटल सूट दायर नहीं किया गया है। 2024 में डीसी बोकारो ने वन विभाग का पक्ष लिए बिना इसे प्रतिबंधित सूची से हटा दिया। इस जमीन पर वर्तमान समय में एनजीटी,सीइसी,व्यवहार न्यायालय में वाद चल रहा है और सीआइडी जांच कर रही है।

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