विधायक श्वेता और जयराम की लड़ाई के बीच सांसद ढूल्लू ने मृतक के आश्रित को सौंप दी मुआवजा राशि

बोकारो बीजीएच में मौजूद धनबाद सांसद ढुल्लू महतो व मृतक के परिजन

गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी सर्किट हाउस में थे मौजूद पर बाद में पंहुचे बीजीएच और घायलों से लिया हालचाल 

विधायक श्वेता और जयराम बीच विस्थापितों से श्रेय लेने और BSL को वर्चस्व दिखाने को लेकर हुए उलझन के बीच सांसद ढुल्लू ने ले ली श्रेय और दिखाई वर्चस्व 

बोकारो आजतक डेस्क

‌एक पुरानी कहावत है- “दो बिल्लियों की लड़ाई में बंदर फायदा उठा ले गया था”।‌ शाय़द यही कहावत चरितार्थ हुआ, बीएसएल के लाठीचार्ज से मौत हुए विस्थापित युवक प्रेम कुमार महतो की मौत के आश्रितों के मुआवजा को लेकर वार्ता के मामले में। हालांकि यहां मामला दो विधायकों के बीच विस्थापितों से श्रेय लेने और BSL को दबदबा या वर्चस्व दिखाने को था

विस्थापित युवक की मौत के बाद हुए विवाद को सुलझाने एवं पीड़ित  परिवार को सांत्वना एवं मुआवजा दिलाने के लिए स्थानीय विधायक श्वेता सिंह का पंहुचना तो लाजमी था। इस बीच जेएलकेएम सुप्रीमो व डुमरी विधायक जयराम महतो भी विस्थापितों को साथ देने पंहुचे लेकिन दो विधायकों के बीच विस्थापितों से श्रेय लेने और BSL को दबदबा या वर्चस्व दिखाने के चक्कर में बोकारो विधायक स्वयं उनके समर्थकों ने जयराम महतो का विरोध करते हुए रोक दिया। इससे बीएसएल प्रशासन को छोड़ विस्थापित आंदोलनकारी ही एक-दूसरे से गुटबाजी कर उलझ पड़े। दूसरे दिन 4 अप्रैल को बोकारो में महाबंदी का आवाह्न होता है। बीएसएल क्षेत्र 64 मौजा के विस्थापितों के अलावा पूरे जिले के लोग बंद के समर्थन में उतरते हैं। BSL के सभी 11 गेट पहली बार बंद होते है। हाईवे से लेकर सड़क के सभी चौक-चौराहे एवं मार्केट दुकानें बंद होती है। लगातार 30 घंटे के बंदी के कारण BSL का उत्पादन शून्य पर पंहुच जाता है। सैकड़ों कामगार प्लांट के अंदर फंसे रहते हैं। डुमरी विधायक जयराम महतो भी बंद के समर्थन में एडीएम ब्लिडिंग के समक्ष शामिल होते हैं। शाम को बाध्य होकर जिला प्रशासन हस्तक्षेप करती है और उपायुक्त विजया जाधव द्वारा वार्ता के लिये डीसी कार्यालय बुलाया जाता है। इस बैठक में भी विधायक श्वेता सिंह एवं समर्थकों द्वारा बीच गेट में खड़ा होकर विधायक जयराम महतो को रोकने का प्रयास किया। लेकिन जयराम समर्थकों द्वारा जोरदार प्रतिवाद किये जाने के बाद बोकारो विधायक श्वेता सिंह ने  विधायक जयराम महतो को हाथ जोड़ते हुए बैठक में ले गई। लेकिन बिना किसी नतीजा का वार्ता समाप्त हो गयी। इसके बाद चास अनुमंडल पदाधिकारी प्रांजल ढांडा ने धारा 163 लगा दिया। दूसरे दिन आंदोलन थम गया। इस बीच बीजीएच में पड़े मृत शव को परिजन बिना किसी ठोस वार्ता के लेने को तैयार नहीं हुए। 

इस बीच घटना के दोनों दिनों से ग़ायब धनबाद सांसद ढुल्लू महतो दिल्ली से सीधे बोकारो पंहुचे। जहां बीजीएच जाकर मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपये, एक आश्रित को अस्थायी नियोजन एवं मृतक के प्रतिमा स्थापित के लिए 20 डीसमिल जमीन उपलब्ध कराने को लेकर सहमति बना दी। बीएसएल महाप्रबंधक (एचआर)  हरिमोहन झा के हाथों मृतक के भाई को कागजात सौंपते हुए तीन दिन से बीजीएच में पड़े शव को पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया। इधर बाकि आंदोलन कर रहे अप्रेंटिस विस्थापितों को खाली हाथ लगा। इन सब में मजे की बात तो यह है कि सहमति के समय ना ही स्थानीय विधायक श्वेता सिंह मौजूद थी और ना ही डुमरी विधायक जयराम महतो मौजूद थे। गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी भी बोकारो सर्किट हाउस में आराम फरमाते रहे और बीजीएच में धनबाद सांसद ढुल्लू महतो ने सहमति बना ली। बल्कि इस दौरान बगोदर के पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह मौजूद थे। हालांकि घटना को लेकर ऐतिहासिक बोकारो बंदी के दिन सिंदरी विधायक चंद्रदेव महतो, निरसा विधायक अरूप चटर्जी, बाघमारा विधायक शत्रुघ्न महतो, आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो, पूर्व विधायक लंबोदर महतो, झामुमो नेता मंटू यादव आदि बोकारो पंहुचे और पीड़ित एवं घायलों से मुलाकात किये थे।‌

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Share via
Copy link