- संथाल, भुइंया, घटवाल और भोकता के साथ कुड़मि को बताया है ऐबोरिजनल ट्राइब्स।
- नृवंशविज्ञान सर्वेक्षणकर्ता एडवर्ड ट्यूट डाल्टन ने भी कुड़मि को गैर आदिवासी तथा बिहार के कुर्मी से अलग कहा है।
Bokaro Aajtak Desk
बिहार एंड उड़िसा डिस्ट्रिक्ट गजेटियर, हजारीबाग 1917 के अनुसार कुड़मि एबओरिजनल आदिवासी हैं। जिसकी भाषा कुड़मालि है। ब्रिटिश काल 1911 में कराये जनगणना को 1917 में पटना से प्रकाशित किया गया है। जिसमें जातिय संरचना के साथ जनसंख्या विस्तार का भी उल्लेख है। के अनुसार कुड़मि को संथाल, भुइंया , भोकता और घटवाल के साथ एबओरिजिनल कास्ट माना है। पेज़ नं०-84, ट्राइब्स एंड कास्ट्स में कुड़मि की आबादी 84,580 बताया गया है। गजट में कुड़मालि भाषा का भी जिक्र है बोलने वालों की संख्या 7000 हजार बतायी गई है। खोरठा का उल्लेख नहीं है। हालांकि हिंदी-उर्दू, मुंडारी, द्रविड़ियन और अन्य का काॅलम दर्ज है।
चेप्टर IV, ‘द पीपल’ पेज़ नं०- 87 में कहा गया है कि नृवंशविज्ञान सर्वेक्षणकर्ता एडवर्ड ट्यूट डाल्टन ने भी निंसंदेह छोटानागपुर के कुरमी को गैर-आदिवासी माना है। और बिहार के कुर्मियों के बीच बहुत अंतर बताया है। हजारीबाग जिले में बाद में आकर बसने वाले खूद को ‘कुनबी’ कहते हैं तथा पूर्व वाले ‘कुरमी-महतो’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं, और कुर्म्बियों के साथ रिश्तेदारी को गर्मजोशी से नकारते है। यहां कुड़मियों का वितरण व्यावहारिक रूप से वैसा ही है जैसा संथालियों का। और यह जनजाति की समान उत्पत्ति का समर्थन करने वाला माना जाता है जिसके निशान संथाल किंवदंतियों में दिखाई देते हैं। लेकिन कुड़मि संथाल आदतों से बहुत दूर चला गया है। बता दें जनगणना सर्वेक्षण की शुरुआत ब्रिटिश औपनिवेशिक शासनकाल से ही शुरू हुआ है। 1871 में सबसे पहले व्यवस्थित और व्यापक जनगणना की शुरुआत हुई इसके बाद 1881,1891,1901,1911,1921,1931 व 1941 तक ब्रिटिश सर्वे हुए हैं। जिसमें छोटानागपुर के कुड़मि को एबओरिजिनल व प्रीमिटव ट्राइब्स के अंतर्गत रखा गया है।


