मड़प थान के अंदर आस्था का केंद्र खुंटा को किया पुनः पुनर्स्थापित
कसमार, बोकारो। कसमार बाज़ार टांड़ परिसर में लगभग 500 वर्ष पूर्व स्थापित बुढ़ा बाबा मड़प थान में दो दशक बाद पुनः इस वर्ष चड़क पूजा का आयोजन शुरू हुआ। मंगलवार सुबह मड़प थान परिसर में पारंपरिक बकरा बली के बाद पाट को मड़प के अंदर रखा गया।
इससे 10 दिन पूर्व धूमइल देकर पाट को करमाली घर ले जाकर कांटि ठोक कर गांव में सामुहिक रूप से घुमाया। रविवार को संजत एवं सोमवार को उपवास कर रात्रि में पूजा-अर्चना किया। बीते देर-रात पश्चिम बंगाल से आये छउ नृत्य टीमों द्वारा छउ नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुति की गयी।
पाट में ठोके गये कीलों की गिनती के आधार पर कमेटि के लोगों ने बताया गया कि यहां लगभग 500 वर्षों से चड़क पूजा का आयोजन किया जा रहा है। अब प्रतिवर्ष यह सिलसिला बरकरार रहेगा। चड़क पूजा को मड़ा, भोगता या विशू परब भी कहते हैं। बताया जाता है कि यह परब छोटानागपुर राड़ क्षेत्र, वर्तमान में झारखंड, बंगाल व उड़िसा के सीमा क्षेत्र में रहने वाले कुड़मि समाज का बहुत ही ख़ास परब है। जो मरखि घाट कमान का परब है। एक मरखि घाट कमान में जिस नेग नियमों का पालन होता है, हूबहू उसी तरह भोगता परब में भी भगतिया पालन करते हैं। 
कहा जाता है कि आदिहड़ बुढ़ा बाबा जिसने हमें जीवन जीने का तरीका बताया, परब त्यौहार, कला-संस्कृति को रचा-गढ़ा और एक अनौखी सभ्यता स्थापित कर दिया। जिन्हें शरणार्थियों द्वारा जबरन बीच गांव में बाध्य कर अत्यंत कठोर शारिरिक कष्ट देकर मिटाने का प्रयास किया। उनके ही याद और आभार में भोगता परब का आयोजन प्रतिवर्ष मड़प थान में होता है।
इस वर्ष 23 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद कसमार बाज़ार टांड़ मड़ा परब के आयोजन से लोगों में हर्ष व्याप्त है।
रात्रि को छउ नृत्य कार्यक्रम में गोमिया के पूर्व विधायक लंबोदर महतो, स्थानीय जिप सदस्य अमरदीप महाराज, जेएलकेएम नेत्री पूजा महतो, कसमार के पूर्व पंसस संतोष महतो, गर्री मुखिया प्रतिनिधि धनलाल कपरदार, कसमार उपमुखिया प्रतिनिधि विजय कुमार महतो आदि भी पंहुचे। कार्यक्रम को सफ़ल बनाने में आयोजन कमेटि के भरत महतो, भागीरथ महतो, निर्मल महतो, रामानंद महतो आदि की सराहनीय भूमिका रही।



