वन समितियों की मजुबुति, भागीदारी, अधिकार व दायित्व को लेकर गिरिडीह सांसद से मिला वन समिति के प्रतिनिधिमंडल

बोकारो आजतक रिपोर्टर 

Petarwar/Bokaro: उत्तरी छोटानागपुर केंद्रीय वन, पर्यावरण सुरक्षा सह प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष विष्णुचरण महतो, मो सुलेमान, आनन्द महतो कजरी देवी आदि का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी से मिला।

 इस संबंध में समिति के अधिकारियों ने सांसद को अवगत कराया कि तत्कालीन बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग के संकल्प संख्या 5244/ व०प० दिनांक 08/11/1990 के कंडिका- 17,18 एवं 19 के तहत ग्राम वन प्रबंधन सह संरक्षण समिति को वन से आधारित वनोपजों का विपणन में 90 प्रतिशत अधिकार वर्णित है। तथा वनों की संरक्षण का दायित्व ग्रामीणों (समिति) को दिया गया है। जिसके तहत समिति के अध्यक्ष तथा विभाग के वनपाल (सचिव) का संयुक्त खाता से वनों की विकास का कार्य करना है। आज झारखण्ड में 10000/ दस हजार से अधिक समिति गठित है। बोकारो वन प्रमंडल में कुल 267 समितियां गठित हैं औरतथा वनों की सुरक्षा का कार्य किया जा रहा है। किन्तु विभाग की अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने तथा सरकार की संकल्प का अनुपालन नही होने से संयुक्त ग्राम वन प्रबन्धन समिति निष्क्रिय होते जा रही है। बोकारो वन प्रमण्डल के अंतर्गत सीसीएल कारो परियोजना का विस्तार हेतु 558 एकड वन भूमी का एनओसी दिया गया है। जिसमें समिति के द्वारा बचाया गया लाखों पेड़ कटेंगे। किन्तु समिति से किसी तरह का राय या आमसभा से अनुमोदन नही किया गया है। इस तरह से सरकार का संकल्प कहीं पर भी लागु नहीं दिखता है। इस पर सांसद ने ज्ञापन को गंभीरता से लेकर पहल करने की बात कही है। प्रतिनिधिमंडल में आनंद महतो, गंगाधर महतो समेत अन्य शामिल थे। इधर बोकारो डीएफओ ने वन समिति के पदाधिकारियों के साथ अलग से वार्ता की है जिसमें समिति के सभी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। 

वन समितियों की मांगे :-

(1) तत्कालिन बिहार सरकार के संकल्प संख्या साठ वा० 54/5244 दिनाक 08/11/1990 को अविलम्ब लागू करते हुए वनों में विद्रोहन से प्राप्त आपको (90%) समिति की दिया जाय।

(2) बोकाचे वन प्रमण्डल की समी 267 समिति को नये सिरे से गठितकर सक्रिय किया जाय।

(3) विभाग की तमाम विकास योजनाएँ, वृक्षारोपन, सिंचाई, व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था, तालाब निर्माण बैकठेम निर्माण पउँच पथ निर्माण इत्यादि कार्यों को समिति एवं विभाग के संयुक्त देखरेख में किया जाय।

(4) FDA (उन विकास अभिकरण) योजना को सभी समिति में लायुकन सयुका देखरेख में कार्य किया जाय। ताकि उससे प्राप्त 15 प्रतिशत इन्द्री साइट की राशि से गाची की विकास किया जा सके।

(5) अग्नि सुरक्षा की राशि सभी समितियों का मुहवैया कराया जाय। तथा सभी सनिति में इस निमित कता खोला जाम।

(6)जंगली हाथियों के द्वारा जानमाल की क्षतिपुर्ति राशि समभय दिया जाय एवं किसी व्यक्ति के जंगली हाथी द्वारा मृत्यु होने पर 10 लाख रु० एवं गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को 4 लाख रू० दिया जाय।

(7) चमकनौयों की कमी को देखते हुए अविलम्ब पारा वन रक्षी की बहाली की जाय।

(8) माह पालन के तहत सभी समितियों को सिंचाई कार्य हेतु 15.15 सिंचाई कुप निर्माण किया जाय।

(9) जगली जानवरों को धानी पिने के लिए जंगल किनारे बड़े-बड़े बैंक डेम बनाया जाय।

(10) विभिन्न समिति के अध्यक्षों/ सचिवों/सदस्यों पर झूठे मुक्कदमें को वापस लिया जाय।

(11) CCL एवं अन्य प्रतिष्ठानों द्वारा वन भूमि पर NOC लेकर वनों को उजाड रहे है। समिति के सहमति के विना कोई NOC नहीं दिया जाय।

 

 

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