Bokaro/Ranchi : केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रांची में आयोजित जन सुनवाई में कुड़मालि भाखि-चारी आखड़ा ने छोटानागपुर प्रक्षेत्र के कुड़मि जाति का जनजातीय इतिहास का ब्यौरा आयोग के समक्ष रखा है।
आखड़ा ने आयोग को स्पष्ट रूप से बताया कि कुड़मि एक आदिम जनजाति समुदाय है और कुरमी नामक जाति से बिलकुल अलग है जिसे विभिन्न सर्वेक्षणों और जनगणना रिपोटों में बारंबार स्पष्ट किया जाता रहा हैं।
1903 में भाषाविद जी ए ग्रियर्सन के लिंग्विस्टिक सर्वे आफ़ इंडिया बताया है कुड़मि- कुर्मी में अंतर.
1903 ई० में भाषाविद जी ए ग्रियरर्सन द्वारा लिखित ‘लिंग्विस्टिक सर्वे आफ इंडिया’ वाल्यूम-5 भाग – 2 के पृष्ठ 145 में यह स्पष्ट किया गया है कि कुड़मि द्रविड़ियन नस्ल के एक आदिम जनजाति है और उन्हें बिहार के कुरमी से भिन्न किया जाना चाहिए जो अपने नाम में कठोर ‘ड’ के बजाए कोमल ‘र’ का प्रयोग करते है। इन्हे जनगणना सर्वे में एक साथ मिला दिया गया है जबकि इन दोनों के बसवास क्षेत्र भी भिन्न है।
1931की जनगणना में भी छोटानागपुर के संदर्भ में कुड़मि के उच्चारण में कठोर ‘ड़’ का प्रयोग बताया है.
1931 में जनगणना अधीक्षक डबल्यु.जी लेसी द्वारा बताया गया कि छोटानागपुर के संदर्भमें कुड़मि शब्द के उच्चारण में कठोर ‘ड़’ का प्रयोग सदैव है और इसे हमेशा ध्यान रखा जाना चाहिए।
1985 एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में कुड़मि और कुर्मी को अलग-अलग शीर्षक दिया है.
एन्थ्रोपोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया द्वारा 1985 ई० में प्रकाशित किये गये ‘पीपुल आफ इंडिया के खंड 16 (बिहार खंड) भाग-2 में कुड़मि और कुरमी को अलग अलग शीर्षक प्रदान किया गया। कुड़मि का पृष्ठ संख्या 578 में तथा कुरमी का पृष्ठ संख्या 600 में वर्णन मिलता है।
वर्ष 2004 में एक मामले खूद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने बिहार के कुर्मी को जाति तथा छोटानागपुर के कुड़मि को जनजाति माना है.
वर्ष 2004 में एक मामले पर एनसीबीसी के एडवाइस नं०- बिहार/36/2004 में दिये गये निर्णय के अनुसार बिहार के कुरमी को जाति तथा छोटानागपुर के कुड़मि को ट्राइब मानते हुए बिहार के कुरमी के जाति-नाम को संशोधित कर ‘कुरमी महतो’ से ‘कुरमी’ किया गया। इसे निर्णय पत्र में सिरीयल 4 (फाइंडिंग) क्रम संख्या 9 में उद्धृत किया गया है। यहाँ यह स्पष्ट किया जाना जरूरी है कि छोटानागपुर का अर्थ सिर्फ छोटानागपुर प्रमंडल नहीं बल्कि संपूर्ण छोटानागपुर पठारी भूभाग यानि वृहद झाड़खंड (झाड़खंड आंशिक उड़ीसा + आंशिक प० बंगाल) है। यह तथ्य आयोग को भविष्य में स्मरण में रखना आवश्यक है।
झारखंड सरकार ने भी कुर्मी के बदले कुड़मि (महतो) स्वीकार किया है.
वहीं झारखंड सरकार के संकल्प संख्या 144 दिनांक- 10.02.2012 में कुर्मी (महतो) के स्थान पर ‘कुड़मी नाम से जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने का आदेश जारी किया गया है जिसकी वर्तनी सुधारकर कुड़मि (KUDMI) लिखे जाने की आवश्यकता है।
इसके अलावा विभिन्न की दस्तावेजों या अदालती निर्णयों में कुड़मि और कुर्मी को अलग-अलग बताया है.
वर्ष 2023 में अधिवक्ता वसंत कुमार महतो को आरटीआइ के तहत ए.एस.आई के केन्द्रीय लोकसूचना अधिकारी द्वारा दिये गए सूचना में साक्ष्य के तौर पर ए.एस.आइ द्वारा प्रकाशित किये गये ‘पीपुल आफ इंडिया खंड 43 (बंगाल खंड) में वर्णित शब्द कुड़मि है। इसके अलावा विभिन्न दस्तावेजों और अदालती निर्णयों में कुड़मि (KUDMI) और कुरमी (KURMI) नाम से दो जाति के साथ साथ दो अलग-अलग नस्लों का भी बोध होता है।उपरोक्त तथ्यों के आधार पर कुड़मि समुदाय के सटीक उच्चारण वाले नाम कुड़मि (KUDMI) का ही प्रयोग हर दस्तावेजों और पत्राचारों में किये जाने का आग्रह किया है।

