कसमार (बोकारो) : झारखंड के गौरवशाली ऐतिहासिक वास्तुशिल्प व सांस्कृतिक विरासतों को सजाने और संवारने के लिए राज्य सरकार कटिबद्ध है। इसके लिए कल्याण विभाग, पर्यटन कला-संस्कृति खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग आदि के द्वारा सहयोग व समन्वय स्थापित कर कई काम किये जा रहे हैं। उक्त बातें राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता तथा उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कही।
मंत्री श्री प्रसाद ने शुक्रवार को राज्य सरकार के पर्यटन, कला-संस्कृति, खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रमों को वित्तीय सहायता अनुदान योजना के तहत कसमार प्रखंड के हरनाद स्थित पीएमश्री प्लस टू हाई स्कूल परिसर में जागो-जगाओ सांस्कृतिक कला मंच के द्वारा 11 दिवसीय घोड़ा लोकनृत्य प्रशिक्षण सत्र के समापन समारोह में आयोजित भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। मंत्री श्री प्रसाद का कार्यक्रम स्थल पंहूचने पर भव्य स्वागत किया गया।
मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार, राज्य की गौरवशाली कलाकृतियों और विरासतों को बचाने के लिए प्रतिबद्ध ही नहीं कटिबद्ध भी है। इसके लिए कल्याण विभाग, पर्यटन कला-संस्कृति खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग की ओर से कई योजनाएं बनायी जा रही हैं।
कहा कि, झारखंड सरकार हर क्षेत्र के जाहिर थानों व सरना स्थलों को विकसित कर रही है। पारंपरिक वाद्ययंत्र ढोल नगाड़ा, मांदइर आदि का वितरण करने की योजना है।
फुटबॉल, एथलेटिक, हॉकी, क्रिकेट आदि खेलों को बढ़ावा देने के लिए हर पंचायत में शहीद पोटो हो खेल मैदान का निर्माण किया जा रहा है। वहीं गांव-गांव में सिदो-कान्हू युवा खेल क्लब के माध्यम से खेलों के प्रति युवाओं का रूझान बढ़ाने के लिए क्लब के माध्यम से वित्तीय सहायता अनुदान योजना राशि दी जा रही है।
मंत्री ने कहा कि हमारी समृद्ध कला, संस्कृति हमारी पहचान है। लोकनृत्य केवल कला नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और सामूहिक पहचान का जीवंत प्रतीक है। घोड़ा लोक नृत्य उल्लास और सामूहिकता के लोकनायक हैं जो सदियों से हमारी लोकसंस्कृति को समृद्ध करते जा रहे हैं। इस विद्यालय के माध्यम से न केवल नई संस्कृति में यह नृत्य सिखाया जाता है, बल्कि हमारी विरासत अगली पीढ़ी तक लोगों का काम भी हुआ है। यह गर्व की बात है कि हमारे युवा अपने साथियों से जुड़ते हुए आधुनिक समय में भी लोककला को जीवंत बनाए रखने के लिए आगे आ रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि यह कार्य केवल प्रशिक्षण का नहीं, बल्कि संस्कार देने का है, क्योंकि इसमें लोकशास्त्र, सामूहिकता और सांस्कृतिक सिद्धांत का विकास होता है। लोक कला का संरक्षण और समृद्धि का उद्देश्य बहुत महत्वपूर्ण है, इस 11 दिवसीय घोड़ा लोक नृत्य प्रशिक्षण विद्यालय के समारोह के लिए वे संस्था को बधाई और स्मारक ढाल और पूर्णता पत्र प्रदान कर भविष्य की शुभकामनाएं देते हैं। मौके पर डीडीसी, अपर समाहर्ता, बेरमो एसडीओ, कसमार प्रखंड प्रमुख, कसमार बीडीओ एवं सीओ, थाना प्रभारी कसमार और पेटरवार, झामुमो कसमार और पेटरवार के अध्यक्ष मुख्य रूप से उपस्थित थे।





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